आर.एस पांडियन .लोको पायलट / मदुरै / दक्षिण रेलवे तथा भूतपूर्व जोनल सेक्रेटरी / आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन / दक्षिण रेलवे को भला कौन नहीं जानता |एक साधारण सा मानव , जो हमेश एक सदा जीवन में विश्वास रखते है | उनके संघर्षमय जीवन और अटूट योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है | ऐलरसा के एतिहासिक लडाई के अगुआ , क्रन्तिकारी विचारों के मालिक , हमेश श्रमिको के बारे में सोंचना और उनके अधिकारों के बारे में ही चिंतन करना , उनके जीवन का लक्ष्य रहा है | वे सतत कार्यशील है | हमेश ही लोको पायलटो की समस्यायों को नजदीक से देखा है | उन्हें आज भी मदुरै लोको पायलट पितामह के नजर से आदर करते है | मै जब भी मदुरै गया ,वे मुझसे आ कर रेस्ट रूम / लॉज में मिल कर जाते थे | अभी भी मुझसे संपर्क में रहते है | अगर किसी को उनके संपर्क का मोबाइल नंबर की आवश्यकता है , तो मै दे सकता हूँ |
वे कई बार गुंतकल आ चुके है | पिछली बार जब मै मदुरै गया था , तो उन्होंने कहा था कि मै लोको पायलटो को इंटेंसिव श्रेणी में देखना चाहता हूँ और मरते दम तक अपने प्रयास को नहीं छोडूंगा | वे फर्राटे से इंग्लिश बोल लेते है | मुझे आश्चर्य तब हुआ , जब उन्होंने मुझे एक हस्त लिखित कॉपी सुपुर्द की , जो बिलकुल हिंदी में लिखी हुयी थी | मै आश्चर्य चकित रह गया , वे तुरंत मेरे संदेह को भांप गएँ और अपने आप कहने लगे कि ये हस्त लिपि उनकी ही है | जी हाँ वह हिंदी फर्राटे से नहीं बोल सकते , पर लिख लेते है | आज भी वह कॉपी मेरे फाईल में सुरक्षित है |
उन्होंने रीजनल लेबर कमिसनर / मदुरै को एक चिट्ठी लिख कर अर्जी दी की लोको पायलटो को इंटेंसिव स्वीकार किया जाय | रीजन लेबर कमिसनर ने गहन जांच पड़ताल की | मदुरै मंडल के सभी लॉबी में जाकर लोको पायलटो से साक्षात्कार किये | ऐलरसा . रेलवे और रीजनल लेबर कमिसनर के साथ कई वैठक हुए और अंत में रीजनल लेबर कमिसनर / मदुरै ने अपनी फैसले को पास करते हुए कहा की रेलवे को लोको पायलट की श्रेणी को इंटेंसिव ही माने और इसे जल्द ही पारित करे |
मंडल रेल प्रबंधक / मदुरै ने इस आज्ञा/आर्डर को इंकार करते हुए , रीजनल लेबर कमिसनर / चेन्नई को अपील की | रीजनल लेबर कमिसनर / चेन्नई ने भी मदुरै के आर्डर को सुरक्षित रखा | एक बार फिर कॉम आर.एस.पांडियन जी के पक्ष में फैसला आया | अब गेंद जनरल मैनेजर / दक्षिण रेलवे के हाथ में था कि इस फैसले को अमल में लाये | किन्तु हुआ उल्टा | एक बार फिर जनरल मैनेजर ने उपरी कमिसनर को अपील की | इस बार अपीलेट अथॉरिटी जॉइंट सेक्रेटरी / श्रमिक एवं संसाधन मंत्री थे |
अतः दिनांक १८ फरवरी २०१३ को चेन्नई में तीन पक्ष ( ऐलरसा , जी.एम् और जॉइंट सेक्रेटरी ) के बीच बैठके / सुनवाई हुयी | एक बार फिर गहन जाँच और तर्क के बाद , जॉइंट सेक्रेटरी ने अपने फैसले को जारी किया और कहा की लोको पायलटो को इंटेंसिव श्रेणी में ही रखा जाए और ऐलरसा के मांग को उचित ठहराया | एक बार फिर रेलवे को मुह की खानी पड़ी |
दोस्तों अब आगे देंखे रेलवे कौन सा कदम उठता है ?
कॉम आर.एस.पांडियन जी की प्रयास जारी है | समय की मांग है कि हम सभी मिलकर एकता को बनाये रखे और इस संघर्षमय क्षण में सभी एक साथ जोर लगायें |
( अगली रिपोट नेसनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल / मुंबई की जो दिनांक ११.०३.३०१३ को हुयी |)
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