जीवन कितना कष्टकर है | आये दिन आत्महत्या की खबर आते ही रहती है | मनुष्य कितना निर्मम हो जाता है | दिमाग में शून्य की प्रक्रिया बड़ी भयावह होती है | व्यक्ति क्या करने जा रहा है कि सुध बुध नहीं रहती |
आज ( २०.०३.२०१३) मुझे मनोज कुमार लोको पायलट / सियालदह की एस.एम्.एस प्राप्त हुयी है | जिसके अनुसार - एस.के.मोहंता सहायक लोको पायलट /बी एन डी एम् ने कल आत्महत्या कर ली है | वह जब गाड़ी संख्या -८००६ डौन को कार्य करते हुए जा रहा था , तो दुर्भाग्य वस् लाल बत्ती वाले सिग्नल को पार कर गए | दोशानुसार उसे रेलवे की नौकरी से निकाल दिया गया था | यह दर्द असहनीय बन गयी थी और उसने इस राह को अपना लिया , जैसा की लोगो की जुबान पर चर्चा है |
दुःख की घडी यही ख़त्म नहीं हुयी | उसके पिता जी उसके छत -विछत शव को न देख सके और अचानक ह्रदय गति रुकने से उनकी भी मौत हो गयी | इस आकस्मिक दुर्घटना के बाद लोको पायलटो में क्षोभ व्याप्त है | कितनी दुर्दिन पल है , जब किसी के घर से एक नहीं दो - दो शव निकल रहे हो | यह एक अमानुषिक दंड की उदहारण है |
आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन इस तरह की अमानुषिक दंड की घोर निंदा करती है | सारा रनिंग स्टाफ इस दुःख की घडी में उनके परिवार के साथ एक जुट खड़ा है | भगवान उनके परिवार जनो को दुःख बर्दास्त करने की शक्ति दें |
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