दिनांक - २ ३ मई २ ० १ ३ चेन्नई
मोटरमैन मनोहर की शारीरिक दशा ठीक नहीं थी । उन्हें तुरंत पेरम्बूर रेलवे अस्पताल को रेफर किया गया , जहाँ डॉक्टर मनोहर को मृत घोषित कर दिए । मनोहर की उम्र ४ ८ वर्ष थी । पिछले दशक के दौरान यह तीसरी घटना है , जब मोटरमैन ड्यूटी में मृत घोषित किये गए । स्वचालित ब्रेक की वजह से सभी यात्रियों की जाने बच गयी । मनोहर नेमिचेर्री के रहने वाले थे ।
इस दुखद दुःख में आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन उनके परिवार के साथ है ।
इस तरह के घटनाओ के बढ़ने का मुख्य कारण - काम के बढ़ते दबाव है । मोटरमैन और लोको पायलटो के पदों का न भरा जाना भी है । आज लोको पायलटो की हालत दयनीय होती जा रही है । आखिर ये सब कब तक चलता रहेगा ?
मनोहर मोटरमैन / चेन्नई दोपहर ० ३ .४ ० बजे के आस - गुम्मिदिपुंदी एम.एम.सि -यि.एम्य़ु लेकर जा रहे थे । एक सौ यात्री सवार थे । अचानक उनकी तवियत ख़राब हो गयी । सर में चक्कर आने लगा और वे कैब के अन्दर ही गिर पड़े । स्वचालित फ्लाषर बत्ती जलने लगी । विपरीत दिशा से एक लोकल आ रही थी । उस मोटरमैन ने फ्लाषर बत्ती देख लोकल ट्रेन को रोक दी और अपने गार्ड के साथ , उस कैबिन को गएँ ।
मोटरमैन मनोहर की शारीरिक दशा ठीक नहीं थी । उन्हें तुरंत पेरम्बूर रेलवे अस्पताल को रेफर किया गया , जहाँ डॉक्टर मनोहर को मृत घोषित कर दिए । मनोहर की उम्र ४ ८ वर्ष थी । पिछले दशक के दौरान यह तीसरी घटना है , जब मोटरमैन ड्यूटी में मृत घोषित किये गए । स्वचालित ब्रेक की वजह से सभी यात्रियों की जाने बच गयी । मनोहर नेमिचेर्री के रहने वाले थे ।
इस दुखद दुःख में आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन उनके परिवार के साथ है ।
इस तरह के घटनाओ के बढ़ने का मुख्य कारण - काम के बढ़ते दबाव है । मोटरमैन और लोको पायलटो के पदों का न भरा जाना भी है । आज लोको पायलटो की हालत दयनीय होती जा रही है । आखिर ये सब कब तक चलता रहेगा ?
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