रेलवे में कई ट्रेड उनियंस है , पर लोको पायलटो के प्रति सभी की रवैया संदेहास्पद रही है | किसी ने भी इनकी मांगो को गंभीरता और सकारात्मक रूप में नहीं लिया है | हार - कर लोको पायलटो को अपनी अलग यूनियन बनानी पड़ी | जिसका नाम आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन है | यह असोसिएसन ईमानदारी से लोको पायलटो के हित की बाते करती है | लोको पायलटो के मांगो को आकार देने के लिए , हमेशा ही आन्दोलन , धरना , ज्ञापन और संबैधानिक तरीके को अपनाया है |
प्रत्येक पे- कमीशन के दौरान लोको पायलटो के हितो हो नजर अंदाज किया गया | इन्हें दो प्रमुख ट्रेड यूनियन की मदद से , इनके वेतन को निम्न से निम्न स्तर पर निर्धारित किये गए | इन्होने हमारे ग्रेड को डिग्रेड कर दिया | नतीजतन हमारी लडाई जारी रही | इसी का नतीजा है कि लेबर मिनिस्ट्री ने हमारी मांगो को निर्णायक न्याय दिलाने के लिए नेशनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल का गठन किया | जो अपने आप में एक ऐतिहासिक निर्णय और घटना है | ये सब ऐलरसा के अनवरत आन्दोलन के परिणाम है |
दोस्तों आज - तक इस ट्रिब्यूनल में घटित घटनाओ की संक्षेप विवरण यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ --
नेशनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल / मुंबई |
२७.०१.२०१२.
श्रम मंत्रालय / न्यू दिल्ली ने हमारे केश को नेशनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल / मुंबई को सुपुर्द किया और अवकाश प्राप्त जज श्री गौरी शंकर श्राफ को इस ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष नियुक्त किया | यह एक ऐतिहासिक घटना थी |
१९.०२.२०१२
आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन की वैठक कल्याण में आयोजित की गयी और मांगो की विस्तृत प्रक्रिया को रूप देने का कार्य शुरू हो गया |
२५.०४.२०१२
नेशनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल की पहली वैठक , जिसमे आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन की तरफ से कॉम एम्.एन.प्रसाद,एल.मोनी ,के.सी.जेम्स ,एम्.एम्.रोल्ली , आर मुरली ,दी.एस.कोपरकर ,बडगुजर शामिल हुए | रेलवे अनुपस्थित रहा | जज ने अगली वैठक ३१.०५.२०१२ को निश्चित की |
३१.०५.२०१२
आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन की केन्द्रीय कमिटी ने अपने मांग की सूचि जज के समक्ष जमा किये | इस दिन भी रेलवे गैरहाजिर रहा |
०२.०७.२०१२
ऐलरसा का केन्द्रीय कमिटी ने एडवोकेट टी.सी.गोविन्द स्वामी के नेत्रित्व में अपनी affidavit को जमा किए | इस दिन भी रेलवे ने भाग नहीं लिया |
०६.०८.२०१२
रेलवे एडवोकेट उपस्थित हुआ | ऐलरसा ने अपने पक्ष को रखा | रेलवे ने समय की मांग की |
२१.०८.२०१२
कॉम एम्.एन.प्रसाद उपस्थित हुए | जज साहब छुट्टी पर थे | अतः अगली सुनवाई की तारीख १८.०९.२०१२ को तय की गयी |
१८.०९.२०१२
कॉम एम्.एन.प्रसाद शामिल हुए |रेलवे का वकील दो महीने का समय माँगा |न्यायाधीश साहब ने रेलवे को ८ अक्टूबर २०१२ तक का समय निर्धारित किया |
०८.१०.२०१२
रेलवे का वकील शामिल नहीं हुआ क्यूँ की उसकी माँ की हालत नाजुक थी और वह हॉस्पिटल में भारती है | अन्य वकील शामिल हुआ जिसे पूरी केश मालूम नहीं थी और एक बार फिर समय की मांग रखी | अगली वैठक की तिथि ०५.११.२०१२ को तय की गयी |
०५.११.२०१२
इस बार जज साहब उपस्थित नहीं हुए | अगली वैठक २६.११.२०१२ को तय हुयी |
२६.११.२०१२
जज साहब ने ex-prate की निश्चय लिया | रेलवे की आनाकानी शुरू हुयी | पंक्षी हाथ से उडता नजर आया | रेलवे ने कार्यवाही में मदद की सक्रियता जताई | जज ने ऐलरसा के ऊपर निश्चय छोड़ दिया | कॉम कोपरकर साहब ने पूरी निर्णय लेने में अपनी असहमति जताई | क्योकि कॉम एम्.एन.प्रसाद जी की अनुपस्थिति में निर्णय करना गलत होगा | अगली तारीख ०७.०१.२०१३ निर्धारित |
०५/०६.०१.२०१३
ऐलरसा के केन्द्रीय कार्यकारिणी की वैठक कल्याण में आयोजित हुयी | इसमे अगली आन्दोलन और नेशनल इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के परिणामो पर चर्चा हुयी |
०७.०१.२०१३
ऐलरसा ने जज साहब से ex-prate का निर्णय लेने का अनुरोध किया क्योकि रेलवे अपनी आदत से वाज नहीं आने वाला | कोई निर्णय नहीं हो पाया | अगली वैठक २१.०१.२०१३ को निश्चित हुयी |
२१.०१.२०१३
ऐलरसा और रेलवे का वकील भी भाग लिया | जज साहब ने ex-prate निर्णय को अलग रखते हुए रेलवे को और समय देने की निर्णय जाहिर की वशर्ते रेलवे ४०००/- रुपये जुरमाना भरे और बिना देर किये अपने लिखित जबाब दिनांक -११.०३.२०१३ को अगली सुनवाई के दौरान जमा कराये |
११.०३.२०१३
.रेलवे ने करार के मुताबिक रुपये ४०००/-का चेक और अपनी जबाब को जमा किया |इस तरह से एक लम्बी लूकाछिपी का खेल , एक किनारे पर पहुंचा | अब अगली सुनवाई दिनांक -१८.०४.२०१३ से चालू होगी | देखना है ऊंट किस करवट बैठता है |
लोको पायलटो की एकता जिंदाबाद |
काम करते रहो और लड़ते रहो |
सदैव चलाना ही जिंदगी है |